Wednesday, May 11, 2011

एक आस




एक बार किया था प्यार
फिर ना हुआ कभी...
दिल दिया था एक बार
फिर ना दिया कभी....

वो दर्द , वो जख्म ,
आज भी ताजा हैं ...
जालिम थे वो इतने कि
सिर्फ दर्द से नवाजा है..

वो तो चले गए कब के
पर यादें अभी भी मेरे पास हैं,
हर लम्हा हर घडी...
उनके लौट आने का एहसास है,

ये मोहब्बत की कशिश भी 
उनको रोक ना पाई.....
हमारी अधूरी जिन्दगी थी
पूरी भी ना हो पाई.....

अब भी उनकी राहों मे 
हर शाम पलकें बिछाऊँ,
"काश ये शाम हो जाये आबाद"
इसी आस मे शायद --
एक और दिन जी जाऊँ ,,,,,,

रिया 



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