Wednesday, May 18, 2011

" खाब हो या हो कोइ हकीकत "


जब तक तुम यादों मे थे
ख्वाब बहुत सुहाने  थे ....
तुम हकीकत मे क्या आए
सारे ख्वाब ही टूट  गए......

वैसे मुझे इल्म था 
ऐसे ही कुछ अन्जाम का 
पर ठोकर खा कर सम्भलना,
इन्सानी फिदरत है....

पागल ही होगा जो सागर को ..
लोटे मे कैद करना चाहेगा...
जिद्दी लोटा भर भी ले तो ...
लोटे मे उसके तो
केवल जल होगा .....
सागर तो हमेशा .......
लहरों के ही संग होगा ...

हर सपना गर.... 
हकीकत बन जाये
तो चांद तारों की
दुहाई कौन देगा?
बात बात पे आशिक चांद तारे ...
तोडने की बात करते हैं ....
फिर  उन बातों को ,
तवज्जु कौन देगा ?

रिया कह्ती है---
"यादों को गर मीठा रखना हो,
 तो यादों मे ही रहने दो....
ज़माने की बुरी हवा ना लगने दो."

रिया 

1 comment:

  1. खाब हो या हो कोइ हकीकत..kaun ho tum batlao..

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