ये प्रीत अजब ,
ये रीत अजब ,
अजब है ये संसार रे...
कोइ नही जी सकता यहाँ
बिना किसी के प्यार रे ....
प्रीत की बंशी
बजा के श्याम ,
लूटे राधा का चैन रे ....
कान्हा-कान्हा करती राधा
अब तो दिन हो या रैन रे....
विष का प्याला
पी के मीरा ,
बन गई श्याम दिवानी रे...
प्रीत के रंग मे रंग गई उसकी
बचपन और जवानी रे....
हीर और राँझा
प्यार मे डूबे,
कहाँ वो किसी से कम थे रे...
प्यार की राह मे चलते चलते
लाखों उठाए सितम थे रे....
लैला - मजनू
की भी गाथा ,
हर आशिक ने गायी रे....
मर के ही चाहे , उसने तो
अपनी प्रीत निभाई रे......
ये प्रीत अजब ,
ये रीत अजब ,
अजब है ये संसार रे...
कोइ नही जी सकता यहाँ
बिना किसी के प्यार रे ....
रिया
आसमान में उडती हूँ मैं
पावँ तले अब जमीन नही
फिर भी बोले सजना मुझको
मेरी बात पे यकीन नही
रोग लगा इक ऐसा मुझको
उसके सिवा कोइ हकीम नही
फिर भी बोले सजना मुझको
मेरी बात पे यकीन नही
जीवन भर का साथ है मेरा
मैं इन्सुरांस की स्कीम नही
फिर भी बोले सजना मुझको
मेरी बात पे यकीन नही
दिल चुराया था उसी का
जुर्म कोइ संगीन नही
फिर भी बोले सजना मुझको
मेरी बात पे यकीन नही
सुर्ख हवायें , भीगा मौसम
बिन उसके कुछ रंगीन नही
फिर भी बोले सजना मुझको
मेरी बात पे यकीन नही
चाहत से ज्यादा यकीन है तुमपे
खुद पे भी अब यकीन नही
फिर कियुं बोले सजना मुझको
मेरी बात पे यकीन नही...???
रिया
आँख भर आयी पर
तुम नही आए
भीगी पलकों का भार
अब ना सहा जाये
नयनो की व्याकुलता
कैसे बताएँ
कब से हैं नजरों को
प्रतीक्षा तेरी.....
फूल हैं सजाए
पलकों को बिछाये
राहों पे एक टुक
नज़रें गडाये
आए जो वो
तो हमे होश आए
इस मदहोशी को है
प्रतीक्षा तेरी.......
रातों को कभी ना
हमे नींद आए
वो भी चैन से
कहाँ सो पाए
छुटे लम्हों से
दिल फिर मिल पाए
बिछ्ड़े दिलो को है
प्रतीक्षा तेरी.....
सुबह और शाम की तरह
मौसम बदलने लगे
अरमानो के चिराग
मोम से पिघलने लगे
उम्मीद की लौ भी
डगमगाने लगी
आखिर कब तक
करुं मैं .....
प्रतीक्षा तेरी ????
रिया