इस मिट्टी में जन्मे हैं हम
इस मिट्टी में मिल जायेंगे
पुरखों की गाथा है सुन ली
अपनी गाथा लिख जायेंगे
इस मिट्टी ने सबको पाला
हम भी वैसे पल जायेंगे
सुख के दिन चढ़ते हैं जैसे
दुख शामो में ढल जायेंगे
इस मिट्टी में वीरों ने
अपना परचंप लहराया है
जिसकी खुशबू मात्र से ही
दुश्मन थर-थर थर्राया है
मिट्टी के हर कण में गुथी
कितनी ही कथाएं हैं --
युग बदले पर ये ना बदले
चिर कालीन परम्पराएँ हैं
रिया
वाह रिया जी... क्या खूब लिखा है.... बिलकुल सही....
ReplyDeleteNICE POST .AABHAR
ReplyDeleteBHARTIY NARI
is mitti se saundhi si mehak aa rahi hai..too good :)
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