Tuesday, August 28, 2012

हसरतों का 'मीना बाज़ार'



कभी देखा है-
हसरतों का 'मीना बाज़ार' ?
मैंने गढ़ रखा है 
बड़ा विशाल सा
अधूरी हसरतों का 'मीनाबज़ार' |
यहाँ सब मिलेंगी 

नन्ही हसरतें ....
युवा हसरतें .....
बूढी चरमराती हसरतें ....

वो देखो---
मेरी नन्ही हसरत ,
बड़े बिजली के झूले में
पींगे भर रही है...
और
वो मौत का कुआँ देखा ?
खतरनाक खेल...
जान हथेली पर रखी हुई ,
मेरी युवा हसरत
हिचकोले खा रही है ...
अब
बुढा गयी हैं
हड्डियाँ भी और हसरतें भी
ऊँची पींगे
नहीं भर सकतीं ....
ना ही खतरों का
सामना कर सकती हैं ,
पर
हसरतें तो हैं और रहेंगी...
भले टूटती , बिखरती ,
चरमराती कियूं ना हो ...
आखिरी श्वास तक
सिरहाने पड़ी रहती है
कोई अधूरी हसरत !!!

रिया 

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