Saturday, November 5, 2011

ये मन


ये मन
घृणा , ईर्षा    
हिंसा , द्वेष 
होते प्रस्फुटित 
हर मन में .....
पर मन का 
चालक तू;
खुद राजा है 
मालक तू...
बिन तेरे 
आदेश के 
इनकी एक ना 
चलने वाली .....
अच्छाई
पवित्रता 
शिष्टता
उत्कृष्टता
के आगे 
इनके सारे 
वार हैं खाली ...
अंतर मन को 
शांत तू कर ले 
सारी खुशियाँ 
सृजन कर ले ||

रिया