बहुत छोटी थी वो
हसरतें थी बड़ी शायद
मांगती थी चांदनी
पिताजी बहला देते थे खिलोनो से .....
फिर क्या ...
चांदनी में निहारती थी खिलोनो को
संभलने लगी जब
समझने लगी जब
जी चाहा सारा जग घूम ले
अम्मा ने चूल्हा चौका दिखा दिया ....
हुई वो जवान
पींगे भरने लगे थे अरमान
हसरतों ने दामन में
एक और सितारा टांक दिया
मांग बैठी वो राजकुमार
तो ब्याह करा दिया ....
छोड़ आई अपनों को
अनजानों को अपना लिया
अपनी हसरतो की चुनर ला
पिया के आगे पसार दिया
अब तक अध टंके सितारों वाली चुनर
पसरी है ....
अब तो सितारों की चमक भी नहीं रही
सिर्फ चुभन रह गयी ....
अधूरी हसरतों की चुभन....
रिया ..
समझने लगी जब
जी चाहा सारा जग घूम ले
अम्मा ने चूल्हा चौका दिखा दिया ....
हुई वो जवान
पींगे भरने लगे थे अरमान
हसरतों ने दामन में
एक और सितारा टांक दिया
मांग बैठी वो राजकुमार
तो ब्याह करा दिया ....
छोड़ आई अपनों को
अनजानों को अपना लिया
अपनी हसरतो की चुनर ला
पिया के आगे पसार दिया
अब तक अध टंके सितारों वाली चुनर
पसरी है ....
अब तो सितारों की चमक भी नहीं रही
सिर्फ चुभन रह गयी ....
अधूरी हसरतों की चुभन....
रिया ..
अब तो सितारों की चमक भी नहीं रही
ReplyDeleteसिर्फ चुभन रह गयी ....
अधूरी हसरतों की चुभन....
अधिकतर अंज़ाम ऐसा ही क्यों होता है ?
नया कुछ होने का आगाज कब होगा ?