Tuesday, May 31, 2011

अभिशाप या बिमारी















रात के ढाई बजे हैं 
अचानक मेरी आंख खुल गई 
पडोस कि एक बुजुर्गा की चीख
मेरे कानो के परदे भेद गई
जाने कब से चिल्ला रही थी...

गर्मी का पारा पैतालीस डिग्री
को छू रहा था -------
ए. सी. , कूलरो की गढगढाहट में 
उसकी चीख कही  दब सी गई थी
या फिर शायद ,
अनसुनी कर दी गई थी......

सोच भर से सिहर  उठती है आत्मा
के एक दिन हमे भी तो 
 उसी पडाव से गुजरना है....
आज इतने अपने हैं आस पास 
क्या उस पल कोई साथ ना  होगा?
क्या वृद्ध अवस्था कोई अभिशाप हैं?
या फिर कोई अछुती बिमारी ?
फिर कियू  नही आता कोई पास ?
कियू  अकेला छोड देते हैं उस पल सब? 

अभी इन सवालो में ही उलझी थी कि-
भोर हो गई.....अंधेरा मिट गया और 
रोशनी ने अपना आधिपत्य जमा लिया....
मेरी रात यू ही आंखो में कट गई...
अधूरे जावाबो के साथ..................

रिया

Wednesday, May 18, 2011

ग़ज़ल लिख रही हूँ



ग़ज़ल तुमको मेरे सनम लिख रही
प्यार में हो के बेशरम , लिख रही हूँ

जो दिल अपना तेरे हवाले किया था
उस दिल का हवाला सनम लिख रही हूँ

मेरे तसव्वुर में छाये हुये वो ऐसे
ये सच है या कोई भरम लिख रही हूँ

पिया था जहर मैने सोचा मर जाऊ
मर के निभाऊ वो कसम लिख रही हूँ

जाने कब मिलेगा इस दिल को करार
तुम्हें ऐ सनम हर जनम लिख रही हूँ

ये नादान दिल, मानता ही कहाँ है
तुम्हारी निगाहें करम लिख रही हूँ

रिया

Mobile ना होता तो क्या होता ?


Mobile ना होता 
तो  भला  क्या  होता ?
ना Miss Call  होता
ना SMS होता ....

पहले STD - PCO मे
लम्बी Line हुआ करती थी....
करनी हो किसी से बात 
तो घंटो wait करनी पडती थी..... 
अब तो शुक्र  है Mobile है ,
नए नए जमाने का  
नया नया Style है..

Balance ना हो
 तो भी  क्या गम है -
Miss Call ही कर दो 
वो भी क्या कम है ?
Collage Students तो
Miss Call  से ही काम चलाते हैं,
Miss Call की भाषा वो 
बडे अच्छे  से समझ जाते हैं ...

SMS की तो बात ही खास है
Good Morning से Good Night
Love हो या   Hate 
हर Occasion का  Solution
इसके पास है....
बच्चे बुढे या हो  जवान 
SMS सबको भाता है..
और कुछ आए ना आए
SMS Forward करना  
सबको आता है ..
SIM Airtel हो या  Vodafone हो
बस SMS Services का
 Rate Low हो..

FM रेडियो भी सुनाता है 
ढ़ेरो गाने  load करवाता है
 अकेले Bore होने से बचाता है 
कभी सफर का साथी बन कर
साथ निभाता है..
अब तो Mobile की ऐश है 
आज कल तो वो भी 
इन्टरनेट और 3G से लैश है....

जिन्दगी के लिए 
हवा , पानी और भोजन 
जरूरी है---- 
पर Mobile के बिना  तो 
जिन्दगी ही अधूरी है ......

रिया 

" खाब हो या हो कोइ हकीकत "


जब तक तुम यादों मे थे
ख्वाब बहुत सुहाने  थे ....
तुम हकीकत मे क्या आए
सारे ख्वाब ही टूट  गए......

वैसे मुझे इल्म था 
ऐसे ही कुछ अन्जाम का 
पर ठोकर खा कर सम्भलना,
इन्सानी फिदरत है....

पागल ही होगा जो सागर को ..
लोटे मे कैद करना चाहेगा...
जिद्दी लोटा भर भी ले तो ...
लोटे मे उसके तो
केवल जल होगा .....
सागर तो हमेशा .......
लहरों के ही संग होगा ...

हर सपना गर.... 
हकीकत बन जाये
तो चांद तारों की
दुहाई कौन देगा?
बात बात पे आशिक चांद तारे ...
तोडने की बात करते हैं ....
फिर  उन बातों को ,
तवज्जु कौन देगा ?

रिया कह्ती है---
"यादों को गर मीठा रखना हो,
 तो यादों मे ही रहने दो....
ज़माने की बुरी हवा ना लगने दो."

रिया 



भीगा भीगा एक सावन,
उसमे भीगा सा एक आंचल
सुलगते जिस्म को
 ढकने  की नाकाम कोशिश मे ,
 बर्बस लगा हुआ.................

सफेद निर्मल नरम मुलायम ...
धोती सा पट,
बारिश के पानी से तर बतर..
लीपटे  हुए  उसके तन पे ,
और भी स्पष्ट करता हुआ 
अंग भंगीमाओं को ....
ऐसा प्रतीत हो रहा जियुं
अजन्ता की कोई मूरत हो.....

दिव्य सोंदर्य की प्रतिमा के 
उज्ज्वल मुख पे लटों से
छलकता पानी रुपी मोती....
मानो सृन्गार कर रहा 
उसके रुप यौवन का....

गीली पलकें  बोझिल नशीली  जैसे 
महखाने  का कोइ  जाम  हो...
अधरों को चूमता सावन जैसे
उसकी प्यास बुझा रहा हो ....

हर बूँद की तलब है 
उस रूहानी देह पे ठहरने की...
पर वो इतना कोमल की 
सब छूट के नीचे गिर पडी....

बारिश तो थम गई, पर
बूंदे अब भी टपक रही ......
अनुपम दृश्य ;
गर चित्रकार होती तो
Canvas पर उकेर देती..............

रिया 

"एक फरेबी चेहरा"


एक फरेबी चेहरे से
मुलाकात हो गई
चलते चलते उस से 
थोडी  बात हो गई...

भाई वाह..... 
अच्छा खासा था वो चेहरा
बिलकुल साफ इमानदार
पर क्या पता था
कही छिपा  बैठा है अंदर
एक फरेबी गद्दार.....

चाल ढाल से सामान्य 
बोल चाल से नेक......
बाद में पता चला कि...
था वो बस एक दिल फेक

नाक नक्श भी ठीक थे 
कद काठी भी ठीक 
नजरें तो माशा अल्लाह 
बिलकुल सटीक ....

उसकी बातें  मीठी ऐसे 
शहद  फीका हो जैसे
अंदर जहर भरा हुआ
जान पाती मैं  कैसे ?

आ गई बातों  में उसकी 
मैं मूरख अनजान...
कैसे फरेबी मान लू
जब हो गई जान पेहचान 

भला कैसे फरेबी मान लू 
कैसे बनू अनजान ??

रिया 

Wednesday, May 11, 2011

एक आस




एक बार किया था प्यार
फिर ना हुआ कभी...
दिल दिया था एक बार
फिर ना दिया कभी....

वो दर्द , वो जख्म ,
आज भी ताजा हैं ...
जालिम थे वो इतने कि
सिर्फ दर्द से नवाजा है..

वो तो चले गए कब के
पर यादें अभी भी मेरे पास हैं,
हर लम्हा हर घडी...
उनके लौट आने का एहसास है,

ये मोहब्बत की कशिश भी 
उनको रोक ना पाई.....
हमारी अधूरी जिन्दगी थी
पूरी भी ना हो पाई.....

अब भी उनकी राहों मे 
हर शाम पलकें बिछाऊँ,
"काश ये शाम हो जाये आबाद"
इसी आस मे शायद --
एक और दिन जी जाऊँ ,,,,,,

रिया 



Tuesday, May 10, 2011

वो हाथो का मिलना

वो हाथो का मिलना 
हमने सम्भाल के रखा है
वो एहसास ...
 गुम ना हो जाए कहीं ,
 इसलिए भींच के रखी है 
मुट्ठी अभी तक...

वो प्यार का स्पर्श,
जहन मे समाया हुआ है
कहीं फिर दुनिया की भीड मे...
गुमनाम ना हो जाये, इसलिए
अपने स्पर्श से ...
ढक रखा है.....

छूटता सा प्रतीत हो रहा...
कहीं छूट ही ना जाये 
सच् मे ...इसलिए उसे ...
दिल के करीब रखा है !!!!!
वो हाथो का मिलना 
हमने सम्भाल के रखा है !!!!!

रिया
10 May 2011

सपनो मे रोज आते हो तुम

सपनो मे रोज आते हो तुम 
एक छोटी सी मुस्कुराहट के साथ,
मैं आंचल मे छुपा लेती हूँ तुम्हे 
कह्ती हूँ फिर तुमसे अपने दिल की बात;

तुम हँस कर चूम लेते हो मुझे,
मैं सिमट जाती हूँ फिर तुझमे,
तुम  हल्के से जुल्फों मे ..
जब फेर देते हो अपना हाथ,
बहुत प्यारा लगता है ...
मुझे तुम्हारा वो एहसास !

सपनो मे रोज आते हो तुम 
एक छोटी सी मुस्कुराहट के साथ!

रिया

Saturday, May 7, 2011

हाय मेंहगायी



लडखडाता  बुढापा 
दादू का,
सोचा ना था की 
डांग भी टूट जायेगी...

कुछ चिल्लड पडे 
फटे कोट की जेब में ....
नयी डांग अब 
कहां से आयेगी ?

जहां देखो 
हाहाकार मचा हैं..
लुटेरो का
 बाजार सजा हैं....

अच्छे अच्छो के 
हौसले तोड दिये...
इस  मेंह्गायी ने ..
सारे बजट फोड दिये ...

दो रुपये में दादू 
लस्सी पीते थे ...
पोते गये लेने तो 
सीकांज्वी भी ना आयी..

खाली हाथ 
लौट पडे ...
पर झोले में 
भर लाये.....
हाय मेंहगायी !!
हाय मेंहगायी !!

 रिया 

Friday, May 6, 2011

khamoshi bhi kuch kehti hai..............

kitna kuch chahti hu ki kahun
par khamosh hun.....
dil ke armaan hain jo dabe huye...
chati hun ki foot pade..
par khamosh hun...
sishe ke ghar hai ....
chot se tut ke bikhar jayenge
ishi dar se
khamosh hun.....
par kya aisa koi nahi ...
.jo ye samajh jaye ki.....
meri...
KHAMOSHI BHI KUCH KEHTI HAI????