वो हाथो का मिलना
हमने सम्भाल के रखा है
वो एहसास ...
गुम ना हो जाए कहीं ,
इसलिए भींच के रखी है
मुट्ठी अभी तक...
वो प्यार का स्पर्श,
जहन मे समाया हुआ है
कहीं फिर दुनिया की भीड मे...
गुमनाम ना हो जाये, इसलिए
अपने स्पर्श से ...
ढक रखा है.....
छूटता सा प्रतीत हो रहा...
कहीं छूट ही ना जाये
सच् मे ...इसलिए उसे ...
दिल के करीब रखा है !!!!!
वो हाथो का मिलना
हमने सम्भाल के रखा है !!!!!
रिया
10 May 2011
waaaaaah riya ji...hathon ka milna jisne abhi tak smbhala hua hai... baki yadon ko kaise sambhalega ....bahut khoob...pahli rachna wo bhi bhav se bhari hui.
ReplyDeletebadhayi ho.
dhanyawaad,,,,anand ji......
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