ग़ज़ल तुमको मेरे सनम लिख रही
प्यार में हो के बेशरम , लिख रही हूँ
जो दिल अपना तेरे हवाले किया था
उस दिल का हवाला सनम लिख रही हूँ
मेरे तसव्वुर में छाये हुये वो ऐसे
ये सच है या कोई भरम लिख रही हूँ
पिया था जहर मैने सोचा मर जाऊ
मर के निभाऊ वो कसम लिख रही हूँ
जाने कब मिलेगा इस दिल को करार
तुम्हें ऐ सनम हर जनम लिख रही हूँ
ये नादान दिल, मानता ही कहाँ है
तुम्हारी निगाहें करम लिख रही हूँ
रिया
kya baat hai riya G
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