Saturday, May 7, 2011

हाय मेंहगायी



लडखडाता  बुढापा 
दादू का,
सोचा ना था की 
डांग भी टूट जायेगी...

कुछ चिल्लड पडे 
फटे कोट की जेब में ....
नयी डांग अब 
कहां से आयेगी ?

जहां देखो 
हाहाकार मचा हैं..
लुटेरो का
 बाजार सजा हैं....

अच्छे अच्छो के 
हौसले तोड दिये...
इस  मेंह्गायी ने ..
सारे बजट फोड दिये ...

दो रुपये में दादू 
लस्सी पीते थे ...
पोते गये लेने तो 
सीकांज्वी भी ना आयी..

खाली हाथ 
लौट पडे ...
पर झोले में 
भर लाये.....
हाय मेंहगायी !!
हाय मेंहगायी !!

 रिया 

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