एक फरेबी चेहरे से
मुलाकात हो गई
चलते चलते उस से
थोडी बात हो गई...
भाई वाह.....
अच्छा खासा था वो चेहरा
बिलकुल साफ इमानदार
पर क्या पता था
कही छिपा बैठा है अंदर
एक फरेबी गद्दार.....
चाल ढाल से सामान्य
बोल चाल से नेक......
बाद में पता चला कि...
था वो बस एक दिल फेक
नाक नक्श भी ठीक थे
कद काठी भी ठीक
नजरें तो माशा अल्लाह
बिलकुल सटीक ....
उसकी बातें मीठी ऐसे
शहद फीका हो जैसे
अंदर जहर भरा हुआ
जान पाती मैं कैसे ?
आ गई बातों में उसकी
मैं मूरख अनजान...
कैसे फरेबी मान लू
जब हो गई जान पेहचान
भला कैसे फरेबी मान लू
कैसे बनू अनजान ??
रिया
बहुत सुन्दर
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