Friday, June 22, 2012





पता ही ना चला 


पलकों पे आँसु लिए 
हम भी बैठे थे....
पलकों पे आँसु लिए 
वो भी बैठे थे .......
कब दरिया में तुफान आ गया 
पता ही ना चला ;
ड़ूबते चले गए हम भी 
ड़ूबते चले गए वो भी 
कब प्यार का मुकाम आ गया 
पता ही ना चला ||

खामोशी में बैठ कर 
मुस्कुराए हम भी थे ,
खामोशी में बैठ कर 
मुस्कुराए वो भी थे ,
कब चाहतों का 
सिलसिला जुड गया
पता ही ना चला ||

प्रेम के राग में 
गुनगुनाये हम भी थे,
प्रेम के राग में 
गुनगुनाये वो भी थे,
कब एक ही दिशा में
कारवां मुड गया 
पता ही ना चला ||

पतझड में, सुखे पत्तों से 
मुरझाए हम भी थे  ,
पतझड में, सुखे पत्तों से 
मुरझाए वो भी थे ,
कब बसन्त ने 
फूलों से ढक दिया 
पता ही ना चला ||

अपनी ही लगाई आग में 
सुलगे हम भी थे ,
अपनी ही लगाई आग में
सुलगे वो भी थे ,
आखिर , कब.. किसने..
हमें चकमक थमा दिया 
पता ही ना चला ||

रिया

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