पता ही ना चला
पलकों पे आँसु लिए
हम भी बैठे थे....
पलकों पे आँसु लिए
वो भी बैठे थे .......
कब दरिया में तुफान आ गया
पता ही ना चला ;
ड़ूबते चले गए हम भी
ड़ूबते चले गए वो भी
कब प्यार का मुकाम आ गया
पता ही ना चला ||
खामोशी में बैठ कर
मुस्कुराए हम भी थे ,
खामोशी में बैठ कर
मुस्कुराए वो भी थे ,
कब चाहतों का
सिलसिला जुड गया
पता ही ना चला ||
प्रेम के राग में
गुनगुनाये हम भी थे,
प्रेम के राग में
गुनगुनाये वो भी थे,
कब एक ही दिशा में
कारवां मुड गया
पता ही ना चला ||
पतझड में, सुखे पत्तों से
मुरझाए हम भी थे ,
पतझड में, सुखे पत्तों से
मुरझाए वो भी थे ,
कब बसन्त ने
फूलों से ढक दिया
पता ही ना चला ||
अपनी ही लगाई आग में
सुलगे हम भी थे ,
अपनी ही लगाई आग में
सुलगे वो भी थे ,
आखिर , कब.. किसने..
हमें चकमक थमा दिया
पता ही ना चला ||
रिया
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