तो कोई बात है...
दर्द के अश्क तो रोज बरसते हैं
कभी प्यार के आंसु भिगोये मन
तो कोई बात है...
बहारों में महकते हैं सारे गुल
किसी पतझर में महके चमन
तो कोई बात है.....
सूना हो आँगन , गीला हो आँचल
ऐसे में थामे जो कोई दामन
तो कोई बात है.....
दिन सुहाने चढ़ते, सतरंगी शामें ढलतीं
ऐसे किसी आलम में आये साजन
तो कोई बात है......
बाजार से आईने सौ ख़रीदे होंगे
दो नयन बने जो तेरा दर्पण
तो कोई बात है.....
पुतले प्यार के तो बिखरते ही हैं
महक से उनकी सुवासित हो कण कण
तो कोई बात है.....
सब पूजते हैं दीये और बाती से
"रिया" तन मन तू करदे अर्पण
तो कोई बात है.......
रिया
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