Thursday, June 21, 2012

वर्षारानी

पायल की रुन- झुन रुन -झुन
कंगना की खन खन खन खन 
झुमके की झूमर झूमर 
बावरे से हो रहे .......
जब बादल आए उमड़ घुमड़ 
उमड़ घुमड़ ... उमड़ घुमड़ 
प्रेम रस बरस रहा 
प्यासा मन तरस रहा 
उष्ण तपिश धरा से 
दुःख विषाद  छूट रहा 
खिले खिले वृक्ष वट
हुए शांत नदी तट 
मस्ती में है अम्बर धरा 
प्रेम रस लूट रहा ...
मादक सा मौसम हुआ 
मदहोश सा मन हुआ
मस्ती सी छा गयी  
जब ठंडी पवन ने छुआ .... 
टिप टिप घटा बरस गयी 
देखो बूँदें टपक रही ....
देखते ही देखते ....
अंगना में मेरे ,वर्षारानी 
मोतियों सी बिखर गयी !!!
रिया 

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